उत्तर प्रदेश इटावा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी जुहाना गाँव की डगर पुलिया, एक बारिश में हुई ध्वस्त

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उत्तर प्रदेश इटावा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी जुहाना गाँव की डगर पुलिया, एक बारिश में हुई ध्वस्त

उत्तर प्रदेश इटावा आजादी के बाद भी गांव में विकास की नही जगी किरण जुहाना गांव में करीब छह माह पूर्व किया गया था पुलिया का निर्माण इटावा,आजादी के 74 साल बाद भी विकास की बाट जोह रहा है इटावा जिले का एक गांव जुहाना इस गाँव के लोगो को नगर से जोड़ने के लिये 6 माह पहले बनाई गई पुलिया भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है दरअसल, करीब 6 माह पूर्व प्रशासन ने गांव वालों के आवागमन के लिये और गाँव को जोड़ने के लिये 2 पुलिया बनाई थी जो कि एक बारिश भी नही झेल सकी गाँव वालों ने बताया कि इस गांव में आने जाने के लिये सड़क आज़ादी के 74 साल बाद भी नही बनी है और ग्रामीणों को कई किलोमीटर पैदल चलकर बीहड़ के कच्चे और ऊंचे नीचे रास्तो से होकर जाना पड़ता है बारिश में गांव का संपर्क नगर से पूरी तरह समाप्त हो जाता है बड़ी मुश्किलों के बाद गांव को जोड़ने के लिये पुलिया बनी थी वो भी पहली बारिश में ही टूट गई शहर से मात्र 10 किलोमीटर दूर है जुहाना गांव फिर भी अभी तक नही बनी सड़क शहर से मात्र 10 किलो मीटर दूर यमुना नदी के किनारे बीहड़ो में बसा जुहाना नाम का गाँव आज़ादी के 74 साल बाद भी विकास से अछूता है। आज़ादी के 74 साल बाद भी इस गांव में जाने का रास्ता नही है। बढ़पुरा ब्लॉक के प्रतापनेर ग्राम पंचायत के घने बीहड़ो में बसे जुहाना गांव में लगभग 200 मकान है और गाँव की आबादी लगभग 900 लोगो की है इस गांव में जाने के लिये रास्ता तक नही है गांव वाले भगवान भरोसे गांव में रहते है बीमार को 5 किलोमीटर तक पैदल चलकर या चारपाई में लिटाकर ले जाना पड़ता है एम्बुलेंस तक
गांव में रहने वाले ज्ञान सिंह ने बताया कि यदि गांव में कोई बीमार पड़ जाता है या किसी गर्भवती महिला को हॉस्पिटल ले जाना होता है तो उन्हें 5 किलोमीटर पैदल चलकर या चारपाई पर लिटाकर गांव से बाहर लाया जाता है, तब एम्बुलेंस या किसी अन्य वाहन से मरीज को अस्पताल पहुंचाया जाता है। कई बार तो गंभीर बीमारी से पीड़ित गरीब लोग गाँव मे ही दम तोड़ देते है। हालांकि, सरकार के स्वास्थ्य कर्मी भी किलोमीटर पैदल जाकर ग्रमीणों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाते हैं।
मगर, गंभीर बीमारी की स्थिति में गांव से निकलकर जाना ही पड़ता है। उन्होंने बताया कि देश की आज़ादी के 74 साल में कई सरकारें आई और कई गई लेकिन गाँव के लोग अभी भी आदिवासी जीवन जीने को मजबूर है। गाँव वालों ने बताया चुनाव के समय नेता आते है सड़क बनवाने का वादा करते है लेकिन चुनाव के बाद भूल जाते है। उधर, गाँव में विकास न होने के सवाल पर मुख्य विकास अधिकारी संतोष राय ने कहा कि जल्द ही गाँव का सर्वे कराया जाएगा और ये सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी तरह गाँव का विकास हो और गाँव में सड़क बनाकर मुख्यालय से जोड़ा जाए।
रामकुमार राजपूत
सह स्टेट ब्यूरो चीफ
इटावा उत्तर

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