उत्तर प्रदेश बहराइच में प्राचीन काल से चली आ रही परंपरा आज भी है कायम गंगा जमुनी तहजीब का उत्कृष्ट उदाहरण ठीक जामा मस्जिद के सामने होता है होलिका दहन ।

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उत्तर प्रदेश बहराइच प्राचीन काल से चली आ रही परंपरा आज भी कायम है ।
गंगा जमुनी तहजीब का उत्कृष्ट उदाहरण
ठीक जामा मस्जिद के सामने होता है होलिका दहन

उत्तर प्रदेश बहराइच के रुपईडीहा कस्बे मे जामा मस्जिद के सामने जहाँ होलिका दहन होता है वह काफी पुरानी परम्परा हैं। कस्बे के बुजुर्ग बताते हैं कि यह क्षेत्र पहले कटहरी बाग के नाम से मशहूर था।आसपास लोग बसते गए आबादी बढ़ती गयी। छोटी मस्जिद का आकार बड़ा हो गया।कभी कभार मस्जिद व होली को लेकर विवाद होते रहे। होलिकोत्सव के अगुवा केदारनाथ अग्रवाल, व मस्जिद कमेटी के बीच एक सुला नामा भी हुआ। अब यह परंपरा गत रूप से होलिका दहन का स्थान सुनिश्चित हो गया।अब हिन्दू मुस्लिम सभी होलिका दहन स्थल पर बैठते हैं। यह हिन्दू मुस्लिम सौहार्द का प्रतीक बन गया है।होलिका दहन स्थल पर सोमवार को 8:15 बजे जामा मस्जिद के शाही इमाम हाफिज कसीद अहमद, प्रधान प्रतिनिधि जुबेर फारूकी,शादाब हुसैन,अच्छन आदि मुस्लिम समाज के लोगो ने होलिका दहन को देखा एक दूसरे को बधाई दी। इस अवसर पर बलराम मिश्रा, सुशील बंसल, अनिल अग्रवाल, बिपिन अग्रवाल, डॉ0 सनत कुमार शर्मा,डॉ0 उमाशंकर वैश्य, पवन शर्मा, अजय वर्मा, पूरणमल अग्रवाल सहित भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।मंगलवार को रुपईडीहा कस्बे के लोगो ने एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाकर बधाई दी। कस्बे के बुजुर्ग बताते हैं कि रुपईडीहा कस्बा बलरामपुर स्टेट की रियासत हैं। कुछ लोगों ने बलरामपुर स्टेट से घरो को खरीद लिया है। कुछ लोग आज भी सालाना किराया अदा करते हैं। लोगों ने बताया कि कस्बे की जामा मस्जिद के सामने होलिका दहन साम्प्रदायिक सौहार्द का प्रतीक हैं।

नईम खान उत्तर प्रदेश ब्यूरो चीफ

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