उत्तर प्रदेश ललितपुर मेें विश्व गौरया दिवस मनाया गया जो इंसानों की सच्ची शुुुभ चिन्तक गौरैया चिडिया
शुभय शुभय कभी घर-आंगन में चहकने वाली गौरैया बेशक मौजूदा वक्त में कम नजर आती हो, लेकिन ललितपुर में अभी इसने प्रजनन क्षमता नहीं खोई है। अगर रहने के लिए प्राकृतिक घरौंदा मिल जाए तो वह दोबारा देश की शान बन सकती है। गांवों के नजदीक स्थित जंगलो के इर्द-गिर्द गौरैया की चहचहाहट से यह साबित भी होता है। मानव ऑर्गेनाइजेशन और गौरैया संवाद फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में कंपनी बाग मे विश्व गौरैया दिवस के उपलक्ष पर कम्पनी बाग में गौरैया के घरोंदे पेड़ों पर टांगे गये व लोगो को जागरूक किया गया इस दौरान समाजसेवी एडवोकेट राजेश पाठक ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये कहा कि गौरैया संवाद जैसे कार्यक्रमो की वर्तमान में बहुत आवश्यकता है। गांवों में पर्याप्त खाना मिलने पर गौरैया के झुंड नजर आ जाते है लेकिन शहरों मे इनके आवासों की कमी है हम सब को गौरैया संरक्षण के लिए संयुक्त रूप से प्रयास करना चाहिए ।
कार्यक्रम के संयोजक पर्यावरणविद पुष्पेंद्र सिंह चैहान एड. ने बताया कि विशेषज्ञों के अनुसार गौरैया जीवाश्मीय प्रमाण मिले हैं कि अस्तित्व में आने के बाद से ही गौरैया की मनुष्यों पर निर्भरता बनी रही। इंसानी बस्तियों के नजदीक इनका रहना हुआ है। पेड़-पौधों ने उन्हें रिहायश दी थी। घरों से निकले तरह-तरह के कच्चे व पके अनाज और कीट-पतंगे इनके व इनके चूजों का पेट भरने का जरिया थे। देश बीते 20 साल के विकास ने पूरे सिस्टम में उलटफेर कर दिया है, जो पक्षियों की संख्या में गिरावट के तौर पर देखा गया है। गौरैया अभियान के पुराने साथी सचिन जैन ने बताया कि इंसानों की दोस्त है यह नन्हीं चिड़िया।गौरैया इंसानों की दोस्त भी है। घरों के आसपास रहने की वजह से यह उन नुकसानदेह कीट-पतंगों को अपने बच्चों के भोजन के तौर पर इस्तेमाल करती थी, जिनका इस वक्त प्रकोप इंसानों पर भारी पड़ता है। कीड़े खाने की आदत से इसे किसान मित्र पक्षी भी कहा जाता है। अनाज के दाने, जमीन में बिखरे दाने भी यह खाती है। मजेदार बात यह कि खेतों में डाले गए बीजों को चुगकर यह खेती को नुकसान भी नहीं पहुंचाती। यह घरों से बाहर फेंके गए कूड़े-करकट में भी अपना आहार ढूंढती है। इस दौरान लोकेश कुमार ‘बन्ट‘ एड., राजेश पाठक एड., सचिन जैन, स्वतंत्र व्यास डाॅ. जीत गुप्ता, रवीन्द्र घोष एड., आशीष साहू एड., बलराम कुशवाहा, अमन सुरजिया एड., प्रसन्न कौशिक एड., ऋषि हीरानन्दानी, कैलाश अग्रवाल श्रीमति पुष्पा झाॅ, श्रीमति आरती राय, संजय सेन, भावना पंथ, देव सोनी, भरत वैध, लोकेश रैकवार, मु. सद्दाम हुसैन, प्रेमदास, बृजलाल, कुसुम, लक्ष्मी, रोहित कुशवाहा, धु्रव सेन, ज्ञानेन्द्र प्रताप, दिनेश पाण्डे, श्रवण राठौर, यशपाल यादव, रानू बुन्देलखण्डी,पर्यावरणविद पुष्पेन्द्र सिंह चैहान एड. आदी उपस्थित रहे ।।
लोकेश कुमार