मध्यप्रदेश छतरपुर घुवारा में धूप गर्मी में अन्नदाता अपने ही पैसे के लिए परेशान है और एक के ऊपर एक चड़ रहे है और लॉकडाउन का किया जा रहा है सीधे सीधे

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मध्यप्रदेश छतरपुर घुवारा में धूप गर्मी में अन्नदाता अपने ही पैसे के लिए परेशान है और एक के ऊपर एक चड़ रहे है और लॉकडाउन का किया जा रहा है सीधे सीधे और मध्यप्रदेश सरकार के अधिनिस्थ पुलिसकर्मियों के द्वारा ऐलान किया जा रहा है के देखते हुए गोलियां मारदी जायगी ओर दूसरी ओर बैंक कर्मचारियों के द्वारा यह गर्दिश करा रख्खी है तो इनके साथ क्या करेगी सरकार यह सिर्फ गरिबों को हि गोलियों का शिकार होना चाहिए वह अपना अमूल्य योगदान देकर के सरकारे बनाते है और उन्हीं लोगो के ऊपर अत्याचार किया जाता हैं ।ए है अंधा कानून ओर अंधेर नगरी चोपट राजा जिन किसानों का स्वंय का रुपया है और उन्हीं को नही मिल रहा है।घुवारा मेेंं भारी धूप गर्मी में अन्नदाता अपने ही पैसे के लिए परेशान घुवारा जैसा कि सभी को विदित ही है कि कोविड-19 के कारण सम्पूर्ण भारत में 3 मई तक के लिए लॉक-डाउन घोषित किया गया है। भारत का व्यावसायिक केंद्रों और आवागमन के संसाधन तो लॉक-डाउन किये जा सकते हैं किंतु मनुष्य के जीवन दायिनी आवश्यकताओं को नजर-अंदाज भी नहीं किया जा सकता।

सरकार द्वारा गरीबों को आर्थिक मदद तो प्रदान की गई । किन्तु उस मदद की प्राप्ति के लिए क्षेत्रीय अन्नदाताओं और श्रमिकों को घण्टों भूख प्यास और धूप को सहन करते हुए भारतीय स्टेट बैंक के बाहर खड़े रहकर अपने नम्बर आने का इंतजार करना पड़ रहा है।

एक तरफ तो अखवार,टीवी,जनप्रतिनिधि, और पढ़े लिखे लोग सोशल डिस्टेंस की बात समझाते नहीं थक रहे,वहीं घुवारा स्टेट बैंक के बाहर फैली अव्यवस्थाओं को नजर-अंदाज किया जा रहा है।

न ही लोगों को छाया में बैठने का प्रबंध है,न ही पेयजल की कोई व्यवस्था,

परंतु दैनिक जरूरतों के मारे मजबूर मानव को सिर्फ अपनी और अपने परिवार की आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए धूप, भूख,प्यास, इंतजार ,और कोरोना का भय नहीं लगता क्योंकि बाजार में कुछ मुफ्त नहीं मिलता और पैसे बैंक के बाहर तक लगी लाइन में ही लगकर मिलेंगे।

यदि कहीं सम्मान,नाम,या फोटो आने की बात हो तो अनेक जनप्रतिनिधियों और समाजसेवियों की पंक्तियां स्वयमेव कतारबद्ध होकर कैमरों की ओर मुख करके मंद मंद मुस्कुराते नजर आते हैं ।

किन्तु परेशानियों से जूझ रहे सामान्य जन की समस्याएं ही क्यों नजर-अंदाज की जाती हैं ।

पत्रकार रविन्द्र जैन रवि ने बताया जिला सहकारी बैंक प्रबंधन घुवारा द्वारा ग्राहकों के स्वास्थ्य और सुविधा का ध्यान रखते हुए उनको छाया और और सोशल डिस्टेंस बनाये रखने हेतु व्यवस्थाएं की गईं हैं।

रविन्द्र जैन रवि ने प्रशासन से सिर्फ यही उम्मीद की है कि भारतीय स्टेट बैंक के बाहर कतारों में अव्यवस्थित खड़े ग्राहकों के स्वास्थ्य और सुविधाओं पर जल्द ही ध्यान दिया जाएगा।

जैसा कि सभी को विदित ही है कि कोविड-19 के कारण सम्पूर्ण भारत में 3 मई तक के लिए लॉक-डाउन घोषित किया गया है। भारत का व्यावसायिक केंद्रों और आवागमन के संसाधन तो लॉक-डाउन किये जा सकते हैं किंतु मनुष्य के जीवन दायिनी आवश्यकताओं को नजर-अंदाज भी नहीं किया जा सकता।

सरकार द्वारा गरीबों को आर्थिक मदद तो प्रदान की गई । किन्तु उस मदद की प्राप्ति के लिए क्षेत्रीय अन्नदाताओं और श्रमिकों को घण्टों भूख प्यास और धूप को सहन करते हुए भारतीय स्टेट बैंक के बाहर खड़े रहकर अपने नम्बर आने का इंतजार करना पड़ रहा है।

एक तरफ तो अखवार,टीवी,जनप्रतिनिधि, और पढ़े लिखे लोग सोशल डिस्टेंस की बात समझाते नहीं थक रहे,वहीं घुवारा स्टेट बैंक के बाहर फैली अव्यवस्थाओं को नजर-अंदाज किया जा रहा है।

न ही लोगों को छाया में बैठने का प्रबंध है,न ही पेयजल की कोई व्यवस्था,

परंतु दैनिक जरूरतों के मारे मजबूर मानव को सिर्फ अपनी और अपने परिवार की आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए धूप, भूख,प्यास, इंतजार ,और कोरोना का भय नहीं लगता क्योंकि बाजार में कुछ मुफ्त नहीं मिलता और पैसे बैंक के बाहर तक लगी लाइन में ही लगकर मिलेंगे।

यदि कहीं सम्मान,नाम,या फोटो आने की बात हो तो अनेक जनप्रतिनिधियों और समाजसेवियों की पंक्तियां स्वयमेव कतारबद्ध होकर कैमरों की ओर मुख करके मंद मंद मुस्कुराते नजर आते हैं ।

किन्तु परेशानियों से जूझ रहे सामान्य जन की समस्याएं ही क्यों नजर-अंदाज की जाती हैं ।

पत्रकार रविन्द्र जैन रवि ने बताया जिला सहकारी बैंक प्रबंधन घुवारा द्वारा ग्राहकों के स्वास्थ्य और सुविधा का ध्यान रखते हुए उनको छाया और और सोशल डिस्टेंस बनाये रखने हेतु व्यवस्थाएं की गईं हैं।

रविन्द्र जैन रवि ने प्रशासन से सिर्फ यही उम्मीद की है कि भारतीय स्टेट बैंक के बाहर कतारों में अव्यवस्थित खड़े ग्राहकों के स्वास्थ्य और सुविधाओं पर जल्द ही ध्यान दिया जाएगा।

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