मध्य प्रदेश छतरपुर में चल रहा ट्रिपल-सी (सीसीसी) परीक्षा में नकल को बड़ा कारोबार स्थानीय प्रशासन को बिना सूचना दिए कराई जा रही यूपी की परीक्षा और ।

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मध्य प्रदेश छतरपुर में चल रहा ट्रिपल-सी (सीसीसी) परीक्षा में नकल को बड़ा कारोबार स्थानीय प्रशासन को बिना सूचना दिए कराई जा रही यूपी की परीक्षा
छतरपुर। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की भाजपा सरकार आने के बाद शिक्षा माफिया से लेकर वे तमाम माफिया गायब हो गए, जो अवैध गतिविधियों में लिप्त रहते थे। लेकिन अब ऐसे माफियाओं के लिए यूपी की सीमा से सटा छतरपुर जिला सुरक्षित ठिकाना साबित हो रहा है।
मामला है ट्रिपल-सी (सीसीसी) परीक्षा का, उत्तरप्रदेश में सरकारी नौकरी के लिए ट्रिपल-सी (सीसीसी) की अनिवार्यता होती है। बस इसी बात का फायदा उठाकर शिक्षा माफियाओं ने बीएड की तरह नया कारोबार शुरू कर दिया है। यूपी में ट्रिपल-सी (सीसीसी) का डिप्लोमा पाने के लिए बेरोजगारों की भीड़ है और यही भीड़ शिक्षा माफियाओं के लिए वरदान साबित हो रही है।
आइए ऐसे समझे इस पूरे खेल को
ट्रिपल-सी (सीसीसी) परीक्षा और इसके डिप्लोमा की मप्र में कोई उपयोगिता नहीं है। इसलिए यहां पर न कोई सेंटर खुले हैँ और न परीक्षा केंद्र बनाने का औचित्य है। लेकिन इसके बाद भी मप्र के छतरपुर जिले में इस परीक्षा के लिए केंद्र खोलकर ठेका पर नकल कराने का कारोबार संचालित किया जा रहा है। साल भर इसकी परीक्षाएं चलती हैं। यूपी से हजारों की संख्या में विद्यार्थी परीक्षा देने आते है और चुपचाप चले जाते हैं। लेकिन कोराना काल से लेकर अब तक स्थानीय प्रशासन को सुरक्षा के लिहाज से परीक्षा की सूचना नहीं दी गई और न ही दी जाती है। इस परीक्षा में नकल कराने के लिए प्रति छात्र से 5 से 10 हजार रुपए तक की वसूली की जाती है। एक दिन में 500 से 800 छात्र परीक्षा देते हेँ। प्रति छात्र के हिसाब से इस नलक ठेके के कारोबार का पूरा मुनाफा समझा जा सकता है।
ऐसे होती होती है पूरी ब्यूह रचना
ट्रिपल-सी (सीसीसी) की परीक्षा में नकल का खेल कराने के लिए शिक्षा माफिया योजनाबद्ध तरीके से मप्र के छतरपुर जिला में परीक्षा केंद्र बनवाते हैं। राष्ट्रीय इलेक्ट्रिानिक और सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान के सेंटर और परीक्षा केंद्र के लिए औरंगाबाद क्षेत्रीय कार्यालय से सभी तरह के आदेश मिलते हैं। औरंगाबाद से छतरपुर में परीक्षा केंद्र खोलने और नकल कराने का ठेका निहाल मोहम्मद, राजकुमार गुप्ता, दशरथ कुशवाहा और राहुल सेन के व्यक्तियों के दिया जाता रहा हे। यही लोग नाम बदल-बदलकर परीक्षा की अनुमति लेते रहते हैं।
यही माफिया यूपी से छात्रों के परीक्षा फार्म भराकर एमपी में किसी एक बिल्डिंग को किराए पर लेकर परीक्षा केंद्र कोड जारी कराते हैँ और पास कराने की गारंटी लेकर परीक्षार्थियों से वसूली करते हैँ। जब कभी किसी परीक्षा केंद्र पर नकल की शिकायत होती है तो यह माििफया उस केंद्र का केवल नाम बदलकर नया वोर्ड लगाकर उसी बिल्डिंग में फिर से परीक्षा की अनुमति ले लेते हैं। यह माफिया हमेशा निजी कॉलेज में ही यह परीक्षा कराते हैं, ताकि आसानी से नकल कराई जा सके। आरोप तो यह भी कि यह जो शिक्षा और नकल माफिया हैं, इनका न तो मप्र में कोई सेंटर है और न कोई संस्था है। यह तो केवल परीक्षा केंद्र की फर्जी तरीके से मान्यता लेकर अस्थाई कंप्यूटर लैब बनाते हैं। इनकी कंप्यूटर लैब में केवल लैपटॉप होते हैं जिससे इनको आसानी से अपनी लैब सुविधा अनुसार एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में आसानी हो।
मप्र के छतरपुर जिला में इस शिक्षा माफिया गिरोह ने सबसे पहले ग्लोबल इंस्टीट्यूट एंड टेक्नोलॉजी कॉलेज लवकुशनगर में सेंटर खोला था। इसके बाद दूसरा सेंटर राजाराम आईटीआई कॉलेज छतरपुर में सेंटर खोला। जब राजाराम आईटीआई कॉलेज के परीक्षा केंद्र की शिकायत हुई तो इस गिरोह ने केवल परीक्षा केंद्र का नाम बदलकर राजाराम इन्फोर्मेशन एंड टेक्नोलॉजी का नया बोर्ड लगवाकर नकल से परीक्षा करा डाली।
इन दिनों यह गिरोह छतरपुर के पन्ना रोड स्थित प्राइवेट कॉलेज महाराजा छत्रसाल महाविद्यालय को अपनी गतिविधियों का केंद्र बनाए हैं। इसी कॉलेज की बिल्डिंग में यह गिरोह इन दिनों रामराजा आईटीआई कॉलेज के नाम से परीक्षा करा रहा हैं। 11 मई से यह परीक्षाएं शुरू हो गई है। पहले ही दिन से ठेका पर नकल कराई जा रही है। इन शिक्षा माफियाओं के पास न तो सेंटर चलाने के लिए कोई रजिस्टर्ड एनजीओ है और न ही इनकी कोई सत्यापित फर्म हैं। गड़बड़झाला करके यह गिरोह छ्तरपुर में बेरोजगार पैदा करने की फैक्ट्री लगाकर मुनाफा कमा रहे हैं। चार लोगों में से दो माफिया खुद यूपी शासन में स्वास्थ्य विभाग में नियमित रूप से कर्मचारी है। लेकिन यह अपनी सरकार, विभाग के साथ छात्रों को भी धोखा दे रहे हैं।
जिन निजी कॉलेजों में यह माफिया परीक्षा कराने जाते हैं वहां के स्टॉफ की जगह अपने स्वयं का नकल कराने वाला एक्सपर्ट स्टॉप को साथ लेकर आते हैं और फिर जिस संस्था में परीक्षा कराते हैं, वहां के आईडी कार्ड पहनाकर उनके माध्यम से नकल कराते हैं। जिन छात्रों से इन्हें रुपए मिलता है, केवल उन्हीं को ही यह नकल कराते हैं, बाकि को नकल से दूर रखते हैं।
ट्रिपल-सी (सीसीसी) परीक्षा की मॉनीटरिंग क्षेत्रीय कार्यालय औरंगावाद से होती है। वहां से जो पर्यवेक्षक आते हैं उन्हें भी यह गिरोह पूरी तरीके से मैनेज करके रखता है।

प्रधान सम्पादिका गुड़िया

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