उत्तर प्रदेश मेरठ का सुभारती ट्रस्ट पहले से ही विवादों के घेरे में रहा है अब सुभारती अस्पताल ने भरोसा भी बेच दिया बता रहे है लोग र्चचाओं का बिषय बना है और तो और ट्रस्ट के द्वारा पुलिस अधिकारियों को झूठा साबित करने में लगे है जबक पुलिस अपनी जगह सही बता रही है जो कालाबाजारी करते पकड़ा दबाओ के साथ तो फिर पुलिस कहासे गलत हो गयी है ।
कोरोना की महामारी उसके बाद सुभारती अस्पताल की लूट ने मानवता को छलनी छलनी कर दिया है
सुभारती अस्पताल में जिंदगी की आस लिए मरीज भर्ती होता है लेकिन अस्पताल में एक गिरोह का चर्चाओं का बिषय बना है मरीजों में जोकि भरोसे से खेल रहा था सुभारती अस्पताल में रेमदेसीविर के नाम पर मरीजों को पानी देकर उनकी उम्मीदों को डूबा दिया है
कालाबाजारी इतनी बड़ी की रेमदेसीविर और मरीज की मौत की घटना के बाद से दूसरी लहर में दम तोड़ने वाले को कोरोना पीड़ित परिवारों के मन में यह भी सवाल खड़ा होने लगा है कि कहीं उनका मरीज भी तो किसी लापरवाही की भेंट तो नहीं हो जाएगा
कोरोना महामारी में इंटरनेट मीडिया पर इस त्रासदी में सेवा भाव की एक से एक बढ़कर मिसाल मिल रही है और पुख्ता सबूतो के साथ रंगे हाथो कालाबाजारी करते पकड़े जाने के बावजूद सुभारती का प्रबंधन तंत्र खुद को अनभिज्ञ बता कर पल्ला झाड़ रहा है जीवनदायिनी दवाओं की कालाबाजारी करते पुलिस ने पकड़ा थाा जिसकी बजय और मरीज की मौत की नैतिक जिम्मेदारी लेने की बजाय पुलिस पर रंजीसन फंसाने का आरोप लगा रहा है निचले स्तर की गड़बड़ी बता रहे हैं
मेरठ में जहां लोग लोगों की मदद कर रहे हैं गरीबों की मदद कर रहे हैं यह सुभारती पूरा का पूरा सुभारती ग्रुप के ट्रस्टी अतुल कृष्ण भटनागर और उनके बेटे डॉक्टर कृष्णमूर्ति को शर्म नहीं आ रही कि वह ऐसा अस्पताल में करा रहे हैं बिना मालिक की मिलीभगत के कोई भी कर्मचारी ऐसा नहीं कर सकता यह मेरठ की जनता का मानना है के कोईभी कर्मचारी अगर हेराफेरी करता है दबाओ में तो ट्रस्ट को चाहिए के उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाना चाहिए था पर स्सिटम ने किन परिस्थितियों के चलते यह कदम नहीं उठाया य फिर जो जनता कह रही है वह सत्य है क्या आखिर हकीकत क्या है । उसके बाद पुलिस पर ही रंजीसन फंसाने के आरोप लगा रहा है ट्रस्ट तो ए किसी भि हातल मेें गलेे उतरनेे बाली बात समझ मेंं नहींं आरही है जो सबूत के साथ पकड़े गए हिरासत में कालाबाजारी के आरोपित अस्पताल के कर्मी जिन पर इन धारों में हुई है कार्यवाही
आईपीसी 420 आईपीसी 147 आईपीसी 342 आईपीसी 353 आईपीसी 120 बी
औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 10 एवं अट्ठारह ए बिना लाइसेंस के दवाई बेचना और माध्यम नहीं बताना 3 साल की सजा
औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 27 यानी की दवाई का प्रयोग नहीं होने से व्यक्ति का नुकसान होना उम्र कैद
आपदा प्रबंध अधिनियम 52 एवं 53 महामारी फैलाना जिसमें 2 साल की सजा
मेरठ जिला अधिकारी के बालाजी ने बताया यह मामला अपराधिक है अस्पताल प्रबंधक की भूमिका पुलिस की जांच रिपोर्ट में ही स्पष्ट होगी जांच के दायरे में पूर्व में हुई मृत्यु व अन्य पहलू को भी पुलिस रखेगी दर्ज f.i.r. का विधिक अध्ययन कराया जा रहा है ताकि घटना में पकड़े गए 8 लोगों पर रासुका का निर्णय लिया जा सके और पुलिस को जांच के अनुसार यह सभी धाराएं लगाई गई हैं और जांच के मुताबिक और भी धाराएं बड़ सकती है क्योंकि अभी जांच चल रही है यह जो कुछ उजागर हुआ है वह कुछ सूूूत्रो के अनुसार जानकारी प्राप्त हुई हैं षेश सत्य बाकी है जांच के बाद में पुलिस खुलासा के बाद में
ललित अपराध लाइव न्यूज़ चैनल सह संपादक सुशील रस्तोगी की खास रिपोर्ट