तीर्थंकर बालक का हुआ जन्म
घुवारा नगर में चल रहे श्री मज्जिनेन्द्र शान्तिनाथ पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव एवं विश्वशान्ति महायज्ञ में गत रात्रि-मंगल आरती के उपरांत सागर से पधारे पं.श्री उदय चन्द्र जी के मंगल प्रवचन हुए । तदुपरांत महारानी द्वारा देखे पूरे सोलह स्वप्नों को महाराज विश्वसेन को बताया गया। सभा में माता के सोलह स्वप्नों का फल बतलाया गया।
मंगलवार 25 फरवरी को प्रातः श्रीजी का अभिषेक,शान्तिधारा,एवं नित्य-नियम पूजन के पश्चात हस्तिनापुर नगरी में राजा विश्वसेन एवं महारानी ऐरादेवी की कोख से तीर्थंकर बालक शान्तिनाथ का जन्म प्रातः-07:41 बजे हुआ।
आज की शान्तिधारा करने का सौभाग्य श्री शान्तिकुमार जी,पटु. हजारीलाल जी,पटु. मनीष जी घुवारा को प्राप्त हुआ।
सभी राजा-महाराजाओं ने एवं मित्रों,रिश्तेदारों,साधर्मी जनों ने माता-पिता श्रीमती रूपा-सनतकुमार जी सेसई वालों को तीर्थंकर बालक के जन्म की बधाइयाँ प्रेषित कीं। एवं तीर्थंकर बालक के जन्मावसर पर बधाई गीत नृत्य प्रस्तुत किये गए। माता-पिता ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।
बड़ामलहरा विधानसभा के विधायक माननीय प्रद्युम्न सिंह जी,विनय राजा बुंदेला नगर परिषद प्रतिनिधि,द्वारका सिंह जी एवं श्री प्रमोद कुमार(गट्टू)प्रथम जैन बड़ामलहरा ने मुनिसंघ के चरण कमलों में श्रीफल अर्पित करके आशीर्वाद प्राप्त किया।
मुनि श्री विरंजन सागर जी महाराज ने जन्म के समय के 10 अतिशयों के विषय में बतलाया, तीर्थंकर के वैभव को बतलाया,साथ ही बताया कि तीर्थंकर शान्तिनाथ जी तीन पदों के धारक थे।
तीर्थंकर के जन्म के पूर्व से रत्नों की वर्षा होती है इत्यादि विषय को लेकर मुनिश्री के मंगल प्रवचन हुए।
समस्त जानकारी प्रदान करते हुए द्रोणप्रान्तीय नवयुवक संघ के उपाध्यक्ष रविन्द्र जैन रवि ने बताया कि दोपहर 1:30बजे से नवजात तीर्थंकर बालक को सौधर्मेन्द्र (श्री डॉ. पवन – श्रीमती सुमन मबई वाले)पाण्डुक शिला पर ले गए ,पाण्डुक-शिला श्री गणेश प्रसाद वर्णी महाविद्यालय घुवारा के प्रांगण में बनाई गई,वहां पाण्डुक-शिला पर तीर्थंकर बालक का जन्माभिषेक 1008 कलशों से किया गया। जन्माभिषेक करने का प्रथम सौभाग्य श्री उदयचन्द्र मबई परिवार ने प्राप्त किया,द्वितीय कलश करने का सौभाग्य श्री शान्तिकुमार,श्रेयांस कुमार जी घुवारा ने प्राप्त किया।
जन्माभिषेक के लिए सभी इन्द्र-इंद्राणि,समाजजन,युवावर्ग,विद्वतवर्ग, महिलामण्डल,बालिका मण्डल,हाथी,घोड़े,बग्घियों आदि समस्त वैभव के साथ पाण्डुक्षिला पहुँचे। वहां जाते वक्त जुलूस एवं परिधान तीर्थंकर के वैभव को बयां कर रहा था।
जन्माभिषेक के दौरान ही मुनिश्री विश्वाससागर जी महाराज का घुवारा नगर में प्रवेश हुआ।
जन्माभिषेक के उपरांत समस्त जनसमुदाय हस्तिनापुर नगरी(पाण्डाल) में वापस आये वहाँ मुनिश्री के पादप्रक्षालन किये गए पादप्रक्षालन का सौभाग्य श्री मुकेश कुमार जैन हीरापुर वाले शाहगढ़ निवासी को एवं मुनिसंघ को शास्त्रदान करने का शुभावसर श्री सेठ कस्तूर चंद्र, कपिल कुमार जी तेंदूखेड़ा सपरिवार को प्राप्त हुआ।मुनिश्री ने जन्माभिषेक के उपरांत सकलजन समूह को संक्षिप्त उद्बोधन देते हुए कहा-कि हम चतुर्थ काल में साक्षात पंचकल्याणक और तीर्थंकर के समवसरण आदि नहीं देख सके,किंतु हम सभी धन्य हैं जो आज हम सभी पंचमकाल में भी तीर्थंकर के पंचकल्याणक मना रहे हैं।वे लोग धन्य हैं जो पंचमकाल में तीर्थंकर के जन्म को देखते हैं,समुद्र में गिरा रत्न तो फिर भी प्राप्त किया जा सकता है,किंतु मानव पर्याय मिलना अत्यंत दुर्लभ है इसलिए मनुष्य को इस पर्याय को प्राप्त कर मोक्षमहल हेतु पुरुषार्थ करते रहना चाहिए।
धर्म में और सत्कर्म में ही अपने समय को व्यतीत करना चाहिए।
जुलूस एवं पंचकल्याणक सम्बन्धी व्यवस्थाओं में बमनौरा थाना प्रभारी, भगवां थाना प्रभारी, घुवारा उपथाना प्रभारी एवं उपरोक्त थानांतर्गत पदस्थ समस्त पुलिसकर्मियों का सराहनीय योगदान प्राप्त हो रहा है।