उत्तर प्रदेश जनपद
मिर्जापुर की चिट्ठी
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ऐ भाय, जरा देख के चलो, आगे पीछे ट्रैक्टर से बच के चलो
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रात 10 बजे से भोर 6 बजे तक नगर की सड़कों पर पलटन सहित यमराज निकलते है
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मार्निंग-ईवनिंग वाक (प्रातः-सांध्य भ्रमण के लिए पार्क विकसित किए जाएं
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पी डब्लू डी गया पत्रक
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मिर्जापुर। लंबे अरसे से हाहाकार मचाते हुए रात में यमराज अपने समस्त दूतों के साथ नगर तथा आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में जब निकलते हैं तब इन इलाकों में कोई न कोई इनके चंगुल में फंस ही जाता है। असमय उसकी मृत्यु हो जाती है।
भैंस पर नहीं बल्कि ट्रैक्टर पर सवार होते हैं यमराज महाराज और उनकी टीम
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हाईटेक जमाने में अपनी अहमियत बढ़ाने के लिए यमराज महाराज ने भैंस की सवारी छोड़ दी है। वैसे भी वर्तमान समय में छुट्टे पशु आवारा मानकर धरे-पकड़े जा रहे हैं। कहीं भैंस धर लिए गए तो यमराज पैदल हो जाएंगे । ऐसी स्थिति में तो उनकी जगहंसाई होंगी। क्योंकि रावण के के भारी-भरकम रथ की सवारी तथा भगवान राम को पैदल देखकर खुद विभीषण की हालत पतली हो गई थी। इसे गोस्वामी जी ने ‘रावण रथी विरथ रघुवीरा, देख विभीषण भए अधीरा’ चौपाई में व्यक्त भी किया है।
दो सगे भाइयों को यमराज के आधुनिक वाहन ने चपेट में लिया भी था
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अभी दो दिन पहले सिटी ब्लाक के राजधर परवा के दो सगे भाइयों को अवैध गिट्टी-मिट्टी, बालू-ईंट ढोते वाहन ने रौंद भी दिया था। 15-16 साल के अनाड़ी चालक यमराज के आधुनिक वाहन के संचालक देखे जाते है। यमराज-गोल में शामिल हैं तो गांव-दर-गांव कच्ची शराब की भट्ठी इन अनाड़ियों को साहस देती ही हैं कि नशे में दुर्घटना में कोर्ट से वकील राहत दिला देता है। सो, बेधड़क जब ये चलते हैं तब कोई तो कारण होगा ही कि चौराहों पर ड्यूटी देने वाले सिपाही-होमगार्ड भी इनसे आंख मिलाने का साहस नहीं कर पाते हैं।
टहलने के लिए पार्क विकसित किए जाएं
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इस संबन्ध में गुरुवार, 2 जून को PWD के SE श्री अशोक कुमार द्विवेदी को एक पत्रक दिया गया जिसमें उनसे मांग की गई कि नगर के इमामबाड़ा (खंडवा नाला-पुराना जहाजघाट) के पास PWD की खाली पड़ी 2 बीघे जमीन को बच्चों के लिए पार्क के रूप में विकसित किया जाए तथा हरे-भरे पेड़-पौधे, स्लाइडर, झूला, सी-सा आदि लागाकर उसे आकर्षक बनाया जाए ताकि बड़े बुजुर्ग सड़कों पर टहलने के बजाय इसमें खुद भी टहले तथा बच्चों के मानसिक विकास के लिए इसका उपयोग करा सके ।
- आवास-विकास, गंगा-दर्शन, घोड़े शहीद को विकसित किया जाए
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इसके अतिरिक्त उक्त स्थलों के पार्कों को बड़े शहरों के पार्कों की तरह विकसित किया जाना चाहिए। लालडिग्गी में उद्यान विभाग का शास्त्री पार्क जो सिर्फ सुबह खुलता है, उसे शाम को भी खोला जाना चाहिए। सुबह बच्चे स्कूल जाने में व्यस्त रहते हैं। शाम जब खुलेगा तो वे प्रकृति के नजदीक जा सकेंगे तथा प्राकृतिक महत्ता को समझ सकेंगे।
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प्रधान सम्पादिका गुड़िया