उत्तर प्रदेश जनपद ललितपुर  ने विश्व दलहन दिवस का किया आयोजन बॉदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बॉदा के अन्तर्गत संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र, ललितपुर द्वारा ”विश्व

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उत्तर प्रदेश जनपद ललितपुर  ने विश्व दलहन दिवस का किया आयोजन बॉदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बॉदा के अन्तर्गत संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र, ललितपुर द्वारा ”विश् दलहन दिवस“ के अन्तर्गत दिनांक 10 फरवरी, 2023 को आयोजन किया गया। डॉ0 दिनेश तिवारी, विषय विशेषज्ञ- सस्य विज्ञान ने बताया कि प्रत्येक वर्ष 10 फरवरी, 2023 विश्व दलहन दिवस मनाया जाता है। वर्ष 2016 को “अंतर्राष्ट्रीय दलहन वर्ष” घोषित किया गया था। इसके अन्तर्गत कृषि एवं खाद्य संगठन के द्वारा दालों के महत्व के बारे में बताने दलहन उत्पादन एवं खाद्य सुरक्षा और पोषण की दिशा में योगदान को विश्व में एक अभियान के रूप में चलाया गया। बाद में इस अभियान की सफलता के लक्ष्यों को 2023 तक प्राप्ति हेतु दलहन की अनिवार्यता को स्वीकार किया गया। इसी क्रम में संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा 2019 में प्रति वर्ष 10 फरवरी को ”विश्व दलहन दिवस“ के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया। विश्व दलहन दिवस 2023 की थीम “एक सतत भविष्य के लिए दलहन“ है। दलहन जैसे उर्द, मूॅग, चना, मटर, मसूर आदि में उच्च पोषणीय तत्व पाये जाते हैं। खाद्य सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण स्थान है। साथ ही साथ वर्यावरण लाभ भी मिलता है। जिला ललितपुर की जलवायु एवं मृदा के अनुसार दलहनी फसलों की खेती करना बहुत ही लाभप्रद हो सकता है। इसकी उच्च गुणवत्ता वाली प्रजातियों के प्रयोग, पोषक तत्वों के उचित प्रबंधन, खरपतवारों का समय से नियंत्रण कर अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। दलहनी फसलों की खेती करने से अन्य फसलों की अपेक्षा कम लागत और अधिक न्यूतम समर्थन मूल्य होने के कारण अधिक आय प्राप्त किया जा सकता है। कृषि विज्ञान केन्द्र के फसल तकनीकी पार्क में लगी दलहनी फसलों की उन्नत प्रजातियों के प्रदर्शन जैसे चना (प्रजाति आर0वी0जी0 202, आर0वी0जी0 203, जे0जी0 63 आदि), मसूर (प्रजाति आई0पी0एल0 220, आई0पी0एल0 315, आई0पी0एल0 316 आदि) और मटर(प्रजाति आई0पी0एफ0डी 12-2, आई0पी0एफ0डी 10-12) का भ्रमण भी किया गया। डॉ0 नितिन कचरू यादव, विषय विशेषज्ञ, पादप सुरक्षा ने गुणवत्तायुक्त दलहन के उत्पादन में कीट/बीमारियों के नियंत्रण के लिए जैविक विधि के प्रयोग करने की सलाह दिया गया। डॉ0 सरिता देवी, विषय विशेषज्ञ, गृह विज्ञान/प्रभारी ने अवगत कराया कि दालों के उत्पादन के लिए बुन्देलखण्ड जाना जाता है परन्तु इसका उचित मूल्य नहीं मिल पाता है। यदि दालों का किसान समूह के माध्यम से मूल्य संवर्धन कर जैसे खडी दाल से दाल बनाने से, दाल का बेसन, नमकीन, मटरी, मिठाई, सत्तू आदि बनाकर आय में बढ़ोत्तरी कर सकते हैं। गेंहूॅ के आटे में दाल के मिश्रण (गेंहॅू$चना$मूॅग$सोयाबीन) से हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। डॉ0 एन0के0 पाण्डेय, विषय विशेषज्ञ, कृषि प्रसार ने बताया कि जिला ललितपुर में दाल की खेती को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा उत्पादित की जा रही दलहन के गुणवत्तायुक्त बीजोत्पादन के प्रयोग से अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है और उचित समय पर ही बाजार में अधिक मूल्य मिलने पर विक्रय करें। के0पी0ए0 महाविद्यालय ककरूवा के कृषि विभागाध्यक्ष डॉ0 साकेत एवं श्री दीपक जैन, सहायक प्राध्यापक ने भी अपने विचार व्यक्त किये। विश्व दलहन कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केन्द्र के कर्मचारी एवं कृषक  प्रभुदयाल,  राजेश,  शिशुपाल सहित 70 से अधिक कृषक एवं छात्रों ने प्रतिभाग किया।

आर सी साहू सम्पादक

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