उत्तर प्रदेश बहराइच कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित हुआ महिला किसान दिवस और सभी महिलाओं को ।

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कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित हुआ महिला किसान दिवस

उत्तर प्रदेश, बहराइच15 अक्टूबर। कृषि विज्ञान केंद्र, बहराइच प्रथम के सभागार में महिला किसान दिवस का आयोजन किया गया। किसान दिवस का शुभारंभ करते हुए प्रधान वैज्ञानिक सस्य, आई0ए0आर0आई0 पूसा नई दिल्ली डा वाई0बी0 सिंह ने कहा कि विभिन्न फसलों की बुवाई, कटाई, मडाई एवं धान की रोपाई तथा पशुपालन में महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान है। जबकि कृषि वैज्ञानिक डा0 पी0के0 सिंह ने बताया कि महिलाएं अपने बंशगत परिवारिक ज्ञान के आधार पर सब्जियों की खेती के साथ-साथ पशुपालन भी करती हैं। खेती एवं पशुपालन की नवीनतम तकनीकों का ज्ञान यदि इन महिलाओं को समय-समय पर दिया जाए तो व्यवसाय को और लाभकारी बनाकर परिवार की आय को बढ़ाया जा सकता है।
डा0 मुरली कृष्णन द्वारा बताया गया कि कृषक महिलायें फल एवं सब्जियों का विशेष प्रसंस्करण के माध्यम से लंबे समय तक सुरक्षित रखना एवं तैयार उत्पादों को ऐसे समय में प्रयोग मैं लाना जब उनकी उपलब्धता ना हो इस प्रक्रिया में महिलाओं को जोड़कर अधिक रोजगार का सृजन किया जा सकता है। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा0 शैलेन्द्र सिंह ने बताया कि कृषि में महिलाओं की हिस्सेदारी 30 से 35 प्रतिशत है। आने वाले समय में महिला किसान को भी आधुनिक तकनीकी द्वारा फसल उत्पादन जैव उर्वरको का उपयोग के तरफ ज्यादा रूझान होगा। केन्द्र की वैज्ञानिक रेनू आर्या ने कृषक महिलाओं को स्वयं सहायता समूह बनाकर खाद्य पदार्थों के मौलिक आकार एवं रूप को परिवर्तित कर या आपरिवर्तित रखकर उनके पोषक तत्व एवं विटामिन को यथा संभव बनाए रखते हुए बिना विकृत के दीर्घ काल तक सुरक्षित रखने की विधियों एवं तकनीकों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि खाद्य पदार्थ के मौलिक आकार एवं रूप परिवर्तित करके हम अधिकांश परिरक्षक फलों एवं सब्जियों के लंबे समय तक सुरक्षित रखते हैं जैसे जैम जैली अचार मुरब्बा चटनी आदि।
अपराजिता स्वयं सहायता समूह की श्रीमती किरण बैस ने बताया कि स्वयं सहायता समूह गरीब व्यक्तियों के छोटे-छोटे ऐसे समूह होते हैं जिनकी सामाजिक आर्थिक परिस्थितियां एक समान होती हैं। एक समूह में सदस्यों की अधिकतम संख्या 20 तक होती है। यह समूह अपने सदस्यों को नियमित रूप से छोटी-छोटी बचत करने के लिए प्रेरित करते हैं। एक बार समूह का सदस्य बन जाने पर भी अपनी समस्या एक दूसरे की मदद से सुलझाते हैं। समूह की बचत सामूहिक निधि के रूप में बैंक बचत खाते में स्वयं सहायता समूह के नाम पर जमा कराई जाती है। इस सामूहिक निधि में से सदस्यों को छोटे छोटे ऋण प्रदान किए जाते हैं। कार्यक्रम का समापन करते हुए जिला कृषि अधिकारी सतीश पाण्डेय द्वारा महिला किसानों को बताया गया कि धान की पराली को न जलायें। बल्कि कृषि के नये यन्त्रों हैपीसीडर, कटर, मल्चर आदि का प्रयोग करके फसल अवशेष प्रबंधन कर सकती है। उन्होने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्रों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों के द्वारा नई तकनीकों की जानकारी प्राप्त कर अपने कृषि एवं पशुपालन को नयी दिशा दे सकती हैं।

बाबू खान

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